उत्तानपादासन योग
उत्तानपादासन योगासन क्या है
उत्तानापादासन को इसका नाम संस्कृत से मिला है जहां "उत्ताना" का अर्थ है "तीव्र खिंचाव", "पाद" का अर्थ है "पैर"और "आसन" का अर्थ है "मुद्रा"।उत्तानापादासन एक पारंपरिक योग मुद्रा है जो पेट, जांघों, पिंडलियों और पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों मे खिचाव पैदा करता है। यह बहुत सारी पाचन बीमारियों में मदद करता है, जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है।
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उत्तानपादासन कैसे करें
उत्तानापादासन को उभरे हुए पैर की मुद्रा के रूप में भी नामित किया जाता है क्योंकि अंतिम स्थिति में पैर जमीन से ऊपर उठाए जाते हैं जिससे शरीर की मांसपेशियों में खिंचाव होता है।
उत्तानपादासन करने की विधि
- फर्श पर अपनी पीठ के बल चटाई पर लेट जाये।
- अपने पैरो और घुटनों को एक साथ रखें।
- साँस लेते हुए, दोनों पैरों के पंजे और एड़ी को एक साथ स्पर्श करते हुए दोनों पैरों के पंजे को ऊपर की तरफ ले जाये । लगभग 45 से 60 डिग्री के कोण मे। आप 60 डिग्री या 90 डिग्री तक भी सकता है पर पैर उठाते समय घुटनों को न मोड़ें।
- साँस छोड़ते समय, अपने पैरों को फर्श पर वापस लाएँ।
- इस पक्रिया को 3-5 बार करे।
उत्तानपादासन के फायदे
- मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है।
- इसे नियमित अभ्यास करने से कब्ज से राहत मिलती है ।
- उत्तानापादासन पाचन तंत्र को मजबूत करता है जिससे अपच आदि से छुटकारा मिलता है।
- यह पीठ की बीमारियों से भी छुटकारा दिलाता है विशेष रूप से पीठ के निचले हिस्से में दर्द से।
- कमर, कूल्हे के जोड़ और जुड़े दर्द की समस्याओं से राहत मिलती है ।
- इसका अभियास करने से वजन कम किया जा सकता है
- कमर और जांघों से वसा को कम करने में भी मदद करता है।
- यह तनाव और चिंता से छुटकारा दिलाता है।
- यह पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण में होता है ।
- प्रजनन प्रणाली में भी सुधार करता है।
उत्तानपादासन करते समय सावधानिया
निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों मे आपने योग चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
- पेट की चोट: इस आसन से बचें अगर किसी को पेट की सर्जरी या तीव्र पेट दर्द हो रहा हो।
- पीठ में अधिक दर्द होने की स्थिति में इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- गर्भावस्था के दौरान इसका अभ्यास न करें।
- मासिक धर्म चक्र के दौरान इसे न करें ।
- उच्च रक्तचाप के रोगियों को इससे बचना चाहिए।
- अल्सर के दौरान न करे ।