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कपालभाती प्राणायाम एक प्रकार का श्वास व्यायाम है जो आपको विभिन्न बीमारियों से छुटकारा पाने मे मदद करता है।

बेशक ऋषि पतंजलि के योग सूत्र से हम इसे जानते है, लेकिन रामदेव स्वामीजी के कारण से इसकी लोकप्रियता से बढ़ गई है। कपालभाती रामदेव स्वामीजी के 6 प्राणायामों के सेट का हिस्सा है और इस सेट का अभ्यास पूरे भारत के साथ-साथ दुनिया के बाकी हिस्सों में भी फैला है।

नीचे कपालभाति योग प्राणायाम का विवरण दिया गया है।

कपालभाति क्या है

कपालभाति योग प्रणाली प्राणायाम का एक हिस्सा है जिसे शरीर की सफाई की जाती है। कपालभाती शब्द दो शब्दों से मिल कर बना है: कपाल का अर्थ है 'माथा' और भाति का अर्थ है 'तेज'। कपालभाति का अभ्यास करने से चेहरा पर चमक से उत्पन्न तेज रहता है। प्रक्रिया के कारण मस्तिष्क अच्छे तरह से प्रभावित होते हैं। कपालभाती में छोटी और मजबूत बलवर्धक साँसें शामिल हैं ।


कपालभाति के तीन प्रकार हैं

  • वातकृपा कपालभाति यह भस्त्रिका प्राणायाम के समान है इस का अभ्यास करते समय साँस रोकना और छोड़ना सक्रिय होता है ।
  • विमुक्तकर्म कपालभाति जल जालि के समान होता है इसमें नाक के माध्यम से पानी लिया जाता है और मुँह से बाहर निकलना शामिल है।
  • शीतकर्मा कपालभाती को विमुक्तकर्म कपालभाति का उलटा माना जा सकता है, जिसमें पानी मुंह से अंदर फिर नाक दवार बाहर निकाल दिया जाता है।

कपालभाति कब करे

कपालभाति का अभ्यास खाली पेट (भोजन के कम से कम तीन से चार घंटे बाद) किया जाना चाहिए, इस लिए आप सुबह उठने के बाद भी कर सकते है ।

कपालभाति प्राणायाम कैसे करें

कपालभाति प्राणायाम - Kapalbhati Pranayama
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  • आराम से रीढ़ को सीधा रखते हुए बैठें । यदि आप एक कुर्सी पर बैठे हैं, तो सुनिश्चित करें कि दोनों पैरों को जमीन पर रखें।
  • शुरू करने से पहले अपनी नाक के दोनों छिद्रों के माध्यम से एक गहरी श्वास लें । 
  • साथ ही पेट को भी अंदर की ओर धकेले । 
  • अपने फेफड़ों से सभी हवा को निष्कासित करें। 
  • इस चक्र को 10 बार लगतार रहे, फिर अपनी श्वास को सामान्य स्थिति में आने दें। 

कपालभाति प्राणायाम के लाभ

कपालभाति का नियमित अभ्यास करने वाले अधिकांश लोग आपको नियमित रूप से बताएंगे कि उनमे ऊर्जा में वृद्धि हुई है । चलिए जानते है कपालभाति प्राणायाम के फायदे बार मे और इसे करने से क्या क्या लाभ होता है।
  • यह अतिरिक्त वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है।
  • फेफड़ों और श्वसन प्रणाली को साफ करता है।
  • परिसंचरण में सुधार, विशेष रूप से सिर में होता है।
  • मानसिक विकारों को दूर करने में मदद करता है ।
  • अनिद्रा को दूर करता है, शरीर और मस्तिष्क में स्फूर्ति आती है।
  • माथे को ठंड रखता है।
  • इसका अभ्यास करने से पाचन अंगों में सुधार और भूख में सुधार होता है ।
  • खून को साफ करता है।
  • विषाक्त पदार्थों को शरीर से मुक्त करता है।
  • रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन को बढ़ाता है और रक्त को शुद्ध करता है।

सावधानियाँ

  • कपालभाती का अभ्यास गर्भवती या मासिक धर्म वाली महिलाओं को नहीं करना चाहिए।
  • यदि आपको उच्च रक्तचाप, एसिड गैस्ट्रिक, हृदय रोग या पेट दर्द है, तो कपालभाति का अभ्यास न करें।
  • अगर आपको चक्कर या बेचैनी महसूस होती है तो अभ्यास धीमा या बंद कर दे ।

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