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यह लेख अनुलोम विलोम के फायदे को समर्पित है। यह सबसे बुनियादी श्वास तकनीकों मे से एक है जो श्वास समस्याओं और अस्थमा के लिए उत्कृष्ट है।

योग साँस लेने और मुद्राओं का एक मिश्रण है जो आपके शरीर को भीतर से ठीक करने और बाहर से मजबूत करने का काम करता है। प्राणायाम और आसन आपको मन को शांत करने, तनाव को कम करने, हार्मोन और विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। 

अनुलोम विलोम प्राणायाम कई प्राणायाम या श्वास व्यायाम में से एक है जो हठ योग के अभ्यास में उपयोग किया जाता है। अनुलोम विलोम के लाभ जानने से पहले, आपको अनुलोम विलोम का अर्थ समझना होगा।

अनुलोम का मतलब है सीधा और विलोम का मतलब है उल्टा। अनुलोम विलोम का अभ्यास करते समय नाक के दाएं छेद से गहरी श्वास अंदर को भरते हैं, तो बायीं नाक के छेद से श्वास बाहर निकालते है। इसी तरह नाक के बाएं छेद से श्वास अंदर को भरते हैं, तो नाक के दाहिने छेद से श्वास को बाहर निकालते है।

अनुलोम विलोम के लाभ

  • वात, कफ और पित्त तीनों दोषों को नियमित रूप से अनुलोम विलोम प्राणायाम के अभ्यास के साथ ठीक किया जा सकता है।
  • यह 'वात दोष' की गड़बड़ी के कारण होने वाली सभी बीमारियों को ठीक करता है। इनमें गठिया और रोग जो प्रजनन अंगों से संबंधित है ।
  • इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से रक्तचाप और मधुमेह को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
  • मांसपेशियों के रोग, पेट फूलना और अम्लता में फायदेमंद हैं।
  • इसे करने से सोच सकारात्मक होती है और आप तनाव, क्रोध, चिंता, विस्मृति, बेचैनी, उच्च रक्तचाप, माइग्रेन और नींद की कमी को दूर कर सकते है ।
  • एकाग्रता, धैर्य, संकल्पशीलता, निर्णय लेने की क्षमता और रचनात्मकता मे भी अनुलोम विलोम प्राणायाम बड़ा फ़ायदेमंद है ।
  • तनाव और चिंताओं से छुटकारा दिलाने मे लाभकारी है।
  • अनुलोम विलोम रक्त परिसंचरण में सुधार करता है।
  • नकारात्मक विचारों को सकारात्मक में बदलने में मदद करते है।
  • इसका नियामत आभियास करने से मोटापे को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • कब्ज, गैस्ट्रिक, गैस्ट्रिक समस्याओं और खर्राटों का इलाज करता है।

अनुलोम विलोम कैसे करें

 
अनुलोम विलोम कैसे करें | Anulom Vilom Kaise Karte Hai
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  • अनुलोम विलोम प्राणायाम करना बहुत आसान है, सबसे पहले, अपनी आँखें बंद करें, पद्मासन में बैठें ( सुखासन में भी बैठ सकते हैं ) और अपने हाथों को अपने घुटनों पर रखें।
  • दाहिने नथुने को दाहिने अंगूठे से बंद करें। बाएं नथुने के माध्यम से धीरे-धीरे श्वास लें ।
  • दाहिने अंगूठे को हटा थे हुए, अपनी मध्यमा उंगली का उपयोग करते हुए बाएं नथुने को बंद करे और श्वास बहार दाहिने नथुने से छोड़े ।
  • अब दाईं नथुने से अंदर को श्वास भरे ,श्वास लेने के बाद  दाहिने अंगूठे से दाहिने नथुने बंद करे और बाएं नथुने से श्वास बहार छोड़े ।
  • 5 मिनट के लिए दोहराएं। आप इसे दिन के किसी भी समय कर सकते हैं।


स्वामी सत्यानंद सरस्वती के द्वारा लिखित "आसन प्राणायाम मुद्रा बँधा" पुस्तक पढ़े अमेज़न से ।