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योनि मुद्रा योग की उन मुद्राओं में से एक है जो मन की शांत स्थिति को बढ़ावा देती है। दोनों शब्द संस्कृत से बने है, "मुद्रा" का अर्थ है "प्रतीकात्मक हाथ की उंगलियों और अंगूठे का इशारा" और "योनि" का अर्थ है "गर्भ" जो महिला प्रजनन प्रणाली को संदर्भित करता है।

जिस प्रकार गर्भ में भ्रूण बाहरी दुनिया के संपर्क से बाहर रहता, इस प्रकार योगी भी आनंद की स्थिति का अनुभव करता है ।

योनि मुद्रा कैसे करे

योनि मुद्रा - Yoni Mudra in Hindi
credit : yogainstantly.in

  • योनि मुद्रा करने के लिए, पद्मासन या सुखासन में बैठे ।
  • फिर दोनों हाथों की कनिष्ठा उंगली ( सबसे छोटी उंगली),  अनामिका उंगली ( जिस पर शादी की अंगूठी पहनी जाती है), मध्यमिका उंगली ( बीचवाली उँगली ) को आपस मे मिलकर बाँध ले ।
  • फिर दोनों हाथों की तर्जनी उंगली (अंगूठे के बगल में उंगली; सबसे आगे) और अंगूठे को आपस मे मिले पर इन्हे मुड़े नहीं ।

योनि मुद्रा के लाभ

  • यौन संबंधी विकारो को दूर करता है ।
  • वायु दोष को दूर करता है और अग्नि, जल संबंधी विकारो को भी दूर करता है जिसमे अम्लता, शरीर मे जलन, बुखार, घमोरियां शामिल है ।
  • ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ावा देता है ।
  • मन को शांत, तनाव को दूर करता है।