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क्या आप अपने मन और शरीर को शांत करने के बार मे सोच रहे है ? तो आपका उत्तर उज्जयी प्राणायाम नामक एक प्राचीन योग श्वास तकनीक हो सकता है। उज्जायी प्राणायाम भारत के प्राचीन योगियों द्वारा उपयोग की जाने वाली अष्टांग का एक हिस्सा है। यह प्राणायाम संस्कृत शब्द "उज्जायी" से लिया गया है, जिसका अर्थ है विजयी होना या जीतना। आइये इसके बार मे विस्तार से जानते है ।

उज्जायी प्राणायाम क्या है

शब्द "उज्जायी" संस्कृत के उपसर्ग "उद्" और "जि" से बना है: उज्जायी (अजय), जिसका अर्थ है "विजय", "जो विजयी है"। इस प्रकार उज्जायी प्राणायाम का अर्थ है "विजयी श्वास "।

उज्जायी प्राणायाम कैसे करते हैं

उज्जायी प्राणायाम कैसे करें
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  • इस प्राणायाम की विधि बहुत ही सरल है, आँख बंद करके पद्मासन जैसे किसी भी ध्यान मुद्रा में बैठें और अपनी रीढ़ को सीधा रखे ।
  • अपनी नाक के माध्यम से धीरे-धीरे लंबी, गहरी सांस लें ।
  • फिर मुंह को खोल कर "हा" ध्वनि के माध्यम से धीरे-धीरे साँस छोड़ें ।
  • कई बार दोहराएं । 
  • 5 से 8 मिनट के अभ्यास से शुरू करें, धीरे-धीरे अपना समय बढ़ाकर 10 से 15 मिनट तक करें।

उज्जायी प्राणायाम को कब करें 

उज्जयी प्राणायाम विशेष रूप से तनाव और दिमाग को संतुलित करने के लिए अच्छा है, जब भी आप अपने आप को तनावग्रस्त पाते हैं तो उज्जयी प्राणायाम का प्रयास करें। 

योग और ध्यान केंद्रित करने के लिए उज्जयी प्राणायाम का प्रयास करें ताकि आप एक आसन से अगले तक प्रवाहित हो सकें।

व्यायाम करते समय: जब आप एरोबिक व्यायाम जैसे दौड़ना या साइकिल चलाना करते हैं तो उज्जायी का भी उपयोग कर सकते है।

उज्जायी प्राणायाम करने का सर्वोत्तम समय

  • सुबह या शाम का समय।
  • ध्यान करने से पहले।

उज्जायी प्राणायाम के फायदे

  • यह ध्यान केंद्रित शक्ति और सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ाता है।
  • इसे करने से शरीर स्वस्थ, मजबूत और चमकदार बनता है।
  • कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है।
  • मोतियाबिंद और साइनस की समस्या, गठिया और माइग्रेन में भी मदद करता है।
  • यह दिल के दौरे के खतरे को कम करता है।
  • थायराइड की समस्याओं को रोकता है और आवाज को मधुर बनाता है।
  • पुरानी सर्दी, खांसी, अपच, जिगर की समस्याओं, बुखार और अन्य बीमारियों में फायदेमंद है।
  • अस्थमा की समस्या और अन्य सांस की बीमारियों में बहुत मददगार है।

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