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अर्धचंद्रसन एक विशेष योग मुद्रा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसे करने के विभिन्न तरीके हैं। आप इनमें से किसी या सभी का अभ्यास कर सकते हैं।  इसे अंग्रेजी मे हाफ मून पोज़ के नाम से भी जाना जाता है।
 
अर्धचन्द्रासन संस्कृत के शब्दो से मिल कर बना "अर्ध" का अर्थ है "आधा" ; "चंद्र" का अर्थ "चंद्रमा" और आसन का अर्थ है योग करने की मुद्रा।

अर्धचन्द्रासन कैसे करे

अर्धचन्द्रासन कैसे करे | how to do ardha chandrasana steps
credit : https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Ardha_Chandrasana.jpg
  • सीधे खड़े हो जाएं, एड़ियां मिलीं हुईं, पंजों में थोड़ा सा फासला रखें।
  • दोनों भुजाओं को ऊपर की ओर खींचते हुए हाथ जोड़कर नमस्कार की स्थिति में आ जाएं।
  • अब अपने हाथों को ऊपर की ओर पूरा खिंचाव देते हुए, श्वास भरकर, पहले बायीं ओर जितना अधिक मोड़ सकते हैं, मोड़ें।
  • श्वास छोड़ते हुए वापस आएं और फिर इसी प्रकार दायीं, पीछे की ओर करें। ध्यान रखें, आगे की ओर नहीं झुकना है। ध्यान मणिपूर-चक्र पर केंद्रित करें

अर्धचन्द्रासन के  लाभ

  • इस आसन से बड़ी आंत, जिगर तथा तिल्ली पर विशेष प्रभाव पड़ता है।
  • मेरुदंड की पेशियों और स्नायुओं पर खिंचाव पड़ने से लचक पैदा होती है।
  • कमर के पुट्ठों को पुष्ट बनाने में पर्याप्त सहायता मिलती है।
  • इससे कंठ के तंतुओं और ग्रंथियों का अच्छा व्यायाम हो जाता है।