शवासन योग करने की सही तरीका और फायदे - Shavasana in Hindi
शवासन सब आसनों से कठिन आसन है। इसके लिए पूरे अभ्यास की आवश्यकता है। प्रत्येक आसन के बाद शवासन करें या थोड़ी देर के लिए शरीर को ढीला छोड़कर शिथिल करें। जब कभी आप काम करते-करते थक जाएं, बाहर से थके हुए आएं या मन किसी समस्या के कारण अशांत हो तो पांच मिनट शवासन करें। सारी थकावट दूर हो जाएगी। रात को अच्छी नींद न आती हो, तो सोने से पूर्व प्रतिदिन कुछ समय के लिए शवासन करने का अभ्यास करें।
2. श्वास जैसे आता-जाता है, आने-जाने दें। इससे श्वास अपने-आप सामान्य होगा। आपका श्वास जितना सूक्ष्म होगा, उतना अधिक आप अपने-आपको शिथिल कर पायेंगे।
3. पैर के अंगूठे से लेकर सिर की चोटी तक एक-एक अंग को मन की आंख से (आंखें बंद रखकर) निहारें, बिलकुल वैसे ही, जैसे खड़ा व्यक्ति लेटे व्यक्ति को देखता है। आप भी इस अंतरंग यात्रा को पूरी निष्ठा व समग्र चेतना से तथा सारी इंद्रियों को केंद्रित करते हुए पूरे ध्यानपूर्वक करें। इससे मन व शरीर विश्राम में आता है।
शवासन की विधि | Savasana karne ka tarika
पीठ के बल लेटकर पैरों में एक फुट का फासला, हथेलियां आकाश की ओर, और शरीर से थोड़ी अलग, शरीर सीधा परंतु ढीला।![]() |
credit : https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Shavasana.jpg |
शवासन इन तीन भागों में किया जाता है।
1. शरीर का हर अंग ढीला होना चाहिए। पैर के पंजों को हिलाकर ढीला करें। इससे पैर की नसें ढीली होंगी। कंधों को हिलाएं, इससे धड़ ढीला होगा। गर्दन को हिलाएं, इससे मस्तिष्क की नसें ढीली होंगी। मन में यह भाव लाएं कि मेरा पूरा शरीर ढीला हो रहा है।2. श्वास जैसे आता-जाता है, आने-जाने दें। इससे श्वास अपने-आप सामान्य होगा। आपका श्वास जितना सूक्ष्म होगा, उतना अधिक आप अपने-आपको शिथिल कर पायेंगे।
3. पैर के अंगूठे से लेकर सिर की चोटी तक एक-एक अंग को मन की आंख से (आंखें बंद रखकर) निहारें, बिलकुल वैसे ही, जैसे खड़ा व्यक्ति लेटे व्यक्ति को देखता है। आप भी इस अंतरंग यात्रा को पूरी निष्ठा व समग्र चेतना से तथा सारी इंद्रियों को केंद्रित करते हुए पूरे ध्यानपूर्वक करें। इससे मन व शरीर विश्राम में आता है।
दायीं और बायीं करवट का शवासन
शवासन के इस प्रकार में स्वर विज्ञान को आधार बनाया गया है। बायां श्वास शरीर को ठंडक देता है और दायां गर्मी । जब आप दायीं करवट लेटते हैं तो बायां श्वास चलता है और जब बायीं करवट, तो दाहिना। दायीं करवट का शवासन शवासन को करने के लिए पहले दायीं करवट लेटें। दाहिनी कोहनी का तकिया बना कर उसे सिर के नीचे रखें। दूसरा हाथ कमर पर, टांग थोड़ी-सी मुड़ी हुई, ताकि नीचे का भाग भी शिथिल हो जाए। एक-दो मिनट इस स्थिति में लेटकर फिर बायीं करवट लेटें। भोजन करने के बाद कुछ समय के लिए बायीं करवट लेटने से भोजन का पाचन भलीप्रकार होता है।शवासन के लाभ | Shavasana ke Labh
- यह आसन जर्जर शरीर में नवजीवन व नवचेतना का संचार करता है।
- शवासन से स्नायुओं का कड़ापन, मस्तिष्क की अस्थिरता व अशांति आसानी से दूर की जा सकती है।
- आसन के खिंचाव के बाद जैसे ही शवासन करते हैं शुद्ध रक्त शरीर के प्रत्येक अंग के छोर तक जाता है और विकार को शिराओं द्वारा वापिस हृदय की ओर लाता है, विदित हो कि रक्त फेफड़ों में आकर शुद्ध होता है।
- शवासन से बहुत से रोग ठीक होते हैं ।
- रक्तचाप, हृदय रोग, नाड़ी दौर्बल्य तथा अन्य मस्तिष्क संबंधी रोगों में यह विशेष लाभदायक है।
- इससे श्वास की गति व्यवस्थित होती है।
- मन शांत होता है।
- शारीरिक और मानसिक शक्ति बढ़ती है।