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धौति क्रिया की विधि

तीन इंच चौड़े और सात मीटर लंबे मलमल के कपड़े को नमक वाले पानी में भिगो कर धीरे-धीरे अंदर निगल जाने और फिर उसे बाहर निकाल लेने की क्रिया को धौति क्रिया कहते हैं।

इस कपड़े की पट्टी को इस्तेमाल करने से पहले गर्म पानी से अच्छी तरह धोकर साफ कर लेना चाहिए। पट्टी को हल्के नमक वाले पानी के प्याले में रख दें। कपड़े के एक छोर को मुख में डालकर पशुओं की तरह धीरे-धीरे चबाकर पेट में उतार लें। इसका अभ्यास धीरे-धीरे करना चाहिए। पहले दिन केवल एक फुट कपड़ा ही निगलें और धीरे-धीरे इसे बढ़ाते जाएं।

धौति क्रिया, पेट की सभी बीमारी का इलाज - Dhauti Kriya
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कपड़े की पट्टी को, मुख खोल कर, धीरे-धीरे बाहर निकालें। एकदम से खींचकर बाहर न निकालें।रुकावट होने पर दोबारा धौति को थोड़ा निगलें और फिर बाहर निकालें। शुरू-शुरू में यदि धौति निगलने में कष्ट हो या हिचकी आये, तो दूध या मधु के पानी में भिगोकर निगलने का अभ्यास करें।यदि अंदर किसी कारण रुकावट धौति क्रिया पड़ जाये और धौति बाहर न निकले तो नमक वाला गर्म पानी पीकर वमन करें, फिर धौति बाहर निकाल लें। धौति को निकालने के बाद अच्छी तरह साबुन मिले गर्म पानी से साफ करें ताकि उसमें लगा हुआ कफ आदि अच्छी तरह साफ हो जाये। बाद में, उसे धूप में सुखा लें।

धौति क्रिया के लाभ

धौति करने से पेट का सारा कफ निकल जाता है। खांसी, दमा, श्वास, सरदर्द, ज्वर, प्लीहा, कोढ़ आदि अनेक प्रकार के रोग ठीक होते हैं। मनुष्य स्वस्थ व बलवान होता है, गैस व अन्य पेट संबंधी रोगों में लाभ होता है, भूख बढ़ती है।