-->

जल नेति की विधि


इसके लिए टोंटी वाले लोटे का प्रयोग किया जाता है। लोटे में नमक मिला कुछ हल्का गर्म पानी डालें। जिस नाक से सांस चल रही हो, उसे ऊपर करके लोटे की टोंटी को उसमें लगा दें। मुख को खोलकर रखें ताकि श्वास मुख से ली जाए। लोटे को ऊपर उठायें ताकि पानी नाक में जा सके। पानी एक नासिका से जाकर दूसरी नासिका से बाहर निकलेगा। इसी प्रकार दूसरी नासिका को ऊपर करके उसमें पानी डालकर पहली नासिका से निकालें। विशेष ध्यान रखें, नाक से श्वास बिल्कुल नहीं लेना है और मुंह खुला रखना है। इसके साथ साथ जिस नासिका में टूटी लगी हो, उससे श्वास अंदर खींचें, ताकि लोटे का पानी गले में आ जाये। उसे मुख के रास्ते बाहर निकाल दें। यह काम दसरी नासिका को हाथ के अंगूठे से बंद करके भी कर सकते हैं। इसे कई बार करें और दोनों नासिकाओं से करें। ऐसा करने से नाक व गले की अधिक अच्छी सफाई होती है और कफ पूरी तरह बाहर आ जाता है। अच्छा अभ्यास होने के बाद आप इसे गिलास से भी कर सकते हैं। जल नेति के बाद भस्त्रिका प्राणायाम अवश्य करें। थोड़ा आगे झक कर गर्दन को दायें-बायें, ऊपर-नीचे घुमाकर भस्त्रिका करें, ताकि नाक पूरी तरह साफ हो जाए, नाक के अंदर किसी तरफ पानी रुका न रह जाये।

जल नेति क्रिया - Jal Neti Kriya
 credit : https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Jalaneti.JPG

जल नेति के फायदे

उपरोक्त प्रकार से नेती का अभ्यास हो जाने के बाद आप नाक से पानी पीने का अभ्यास भी कर सकते हैं। नाक से पानी व दूध पीने का विशेष अभ्यास से मस्तिष्क संबंधी सभी रोग ठीक होते हैं, बुद्धि तीव्र होती है, अनिद्रा रोग से मक्ति मिलती है तथा आंख, नाक व गले के रोग ठीक होते है, नत्र ज्योति बढ़ती है ।