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ज्ञान मुद्रा अंगूठे और तर्जनी की एक स्थिति है जो सर्वोच्च ज्ञान के संकेत को दर्शाती है। चूंकि यह हाथों की मदद से अभ्यास किया जाता है इसलिए यह एक प्रकार हस्त मुद्रा है।

हठ योग में, ज्ञान मुद्रा को सबसे प्रभावशाली हस्त मुद्रा के रूप में वर्णित किया गया है जो आत्मा को परम आत्मा से एकजुट करने का काम करती है।

ज्ञान मुद्रा के लाभ - Gyan Mudra Ke Labh
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ज्ञान मुद्रा, ध्यान और मन की एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करती है, जो एक योगी को गहन ध्यान अवस्था में ले जाती है, यही कारण है कि इस मुद्रा को ध्यान मुद्रा भी कहा जाता है।

शरीर के पांच तत्वों में से, ज्ञान मुद्रा मुख्य रूप से शरीर के अंदर वायु तत्व को बढ़ाने का काम करती है। बढ़ी हुई हवा मस्तिष्क को अधिक कुशलता से काम करने में मदद करती है। इस प्रकार, ज्ञान मुद्रा को वायु-वर्धक मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है।

ज्ञान मुद्रा के फायदे

  • शरीर में प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है ।
  • इससे नकारात्मक विचार दूर होते हैं और ज्ञान का विकास होता है ।
  • यह तनाव और अवसाद के लिए सबसे अच्छा उपाय है ।
  • यह जड़ चक्र को उत्तेजित करता जिसे तनाव और उदासी कम होते है ।
  • यह हृदय रोग में भी बहुत फायदेमंद है।
  • दिमाग तेज और मस्तिष्क स्वास्थ्य में सुधार करता है ।
  • पित्त और कफ दोष होने वालों के लिए ज्ञान मुद्रा बहुत सहायक है।

ज्ञान मुद्रा कैसे करें

  • सुखासन, पद्मासन या किसी ध्यान मुद्रा में बैठें । यदि आप बैठने में असमर्थ हैं, तो आप खड़े हो कर इसका अभ्यास कर सकते हैं ।
  • अपनी पीठ, छाती और सिर को सीधा रखें और अपने पूरे शरीर को आराम दें ।
  • अपने हाथों को अपने घुटनों पर ऊपर की दिशा में रखें।
  • अब दोनों हाथों की तर्जनी ऊँगली को अंगूठे की ओर मोड़ें और दोनों को जोड़े । शेष तीन अंगुलियों को सीधा ही रखे।
  • अपनी आँखें धीरे से बंद करें और सांस पर ध्यान केंद्रित करें।
  • इस समय कोई भी मंत्र या "ओम" का जाप कर सकते हैं।

ज्ञान मुद्रा करने के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा होता है। फिर भी, आप दिन के किसी भी समय इस मुद्रा का अभ्यास कर सकते हैं।