सिंहासन योग के लाभ, विधि
सिंहासन योग जिसे अंग्रेजी में 'लॉयन पोज' के नाम से जाना जाता है, सबसे अनोखे योग आसन में से एक है। यह शायद एकमात्र ऐसा आसन है जिसमें ध्वनि बनाने की आवश्यकता होती है। संस्कृत शब्द सिंहासन दो शब्दों से लिया गया है। 'सिंह' का अर्थ 'शेर' और 'आसन' का अर्थ योग मुद्रा से है । सिंहासन योगासन के दौरान उत्पन्न होने वाली ध्वनि शेर की गर्जन ध्वनि के सामान होती है ।
सिंहासन योग के फायदे
- शरीर के विभिन्न भागों जैसे चेहरा, आंख, कान, जीभ, गले, छाती और अंगुलियों को लाभ मिलता है।
- तनाव कम करता है।
- यह मुद्रा एक एंटी-एजिंग थेरेपी के रूप में कार्य करती है।
- चेहरे पर रक्त परिसंचरण में सुधार होता है ।
- झुर्रियों को कम करता है।
- मुंह से दुर्गंध को दूर रखने में उपयोगी ।
- आपकी गर्दन की मांसपेशियों को आराम देता है और आंखों की जलन से राहत दिलाता है।
- शर्मीले, अक्सर घबराए हुए स्वभाव वाले लोगों के लिए उपयोगी है।
- हकलाने वालों के लिए फायदेमंद।
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सिंहासन योग करने की विधि
- वज्रासन में बैठें, अपने घुटनों को अलग रखें ताकि, दोनों के बीच सही दुरी हो।
- दोनों हाथो की हथलियों को पैरो के घुटनों पर रख दे।
- रीड की हड्डी को सीधा रखे, और गहरी साँस ले।
- अपनी जीभ को जितना हो उतना बहार की ओर निकले ।
- साँस को छोड़ते समय "हा" ध्वनि बनिये और पुनः प्रयास करे।
- शरीर को अंतिम स्थिति में आराम दें।
- आप इस प्रक्रिया को 3 - 5 बार दोहरा सकते हैं।
यह आसन आमतौर पर सुबह, या दिन में किसी भी समय खाली पेट किया जाता है । यदि आप घुटने की चोट के कारण फर्श पर बैठने में मुश्किल महसूस कर रहे हैं, तो कुर्सी पर इस मुद्रा का अभ्यास करें।