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चक्रासन को ऊर्ध्व धनुरासन के नाम से भी जाना जाता है । चक्रासन नाम संस्कृत के शब्द "चक्र" जिसका अर्थ "पहिया" और "आसन" का अर्थ योग मुद्रा से है । यह आसन रीढ़ को लचीला और छाती, जांघों, पेट और बाहों को टोन करता है।

चक्रासन के फायदे | Chakrasana Ke Fayde

  • इसका अभ्यास करने से फेफड़ों को अधिक ऑक्सीजन मिलती है । 
  • यह अस्थमा रोगियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है । 
  • तनाव और डिप्रेशन को कम करता है । 
  • आंखों की रोशनी तेज होती है । 
  • यह योग मुद्रा उन व्यक्तियों के लिए अत्यधिक लाभदायक है जो कंप्यूटर या डेस्क के सामने अधिक समय बैठते हैं।  
  • पेट के क्षेत्र में वसा को कम करता है और पाचन और प्रजनन अंगों को उत्तेजित करता है।    
  • रक्त की शुद्धि और परिसंचरण को बढ़ाता है।
  • हाथों, पैरों और पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाने और टोनिंग में मदद करता है। 

चक्रासन कैसे करें | Chakrasana Kaise Kare

पहले सूर्य नमस्कार के कुछ चक्रों का अभ्यास करें, जैसे कि भुजंगासन, ऊर्ध्वमुखश्वानासन और सेतु बन्ध सर्वाङ्गासन ।

भोजन के बाद चार से छह घंटे के बाद इसका अभ्यास करे । सूर्योदय के समय सबसे उत्तम है, अगर यह संभव न हो तो आप शाम को भी चक्रासन का अभ्यास कर सकते हैं।

चक्रासन के लाभ - Chakrasana Ke Labh
credit : https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Chakrasana_Yoga-Asana_Nina-Mel.jpg

चक्रासन करने की विधि | Chakrasana Ki Vidhi

  • पीठ के बल लेट जाएं ।
  • घुटनों को मोड़ें और एड़ी को जितना हो सके अपने नितंब के पास लाएं ।
  • अब अपने हाथों को उठाएं और उन्हें अपने कानों के किनारे के पास रखे । हथेलियों को फर्श से लगये और उंगलियों की दिशा कंधों की ओर होनी चाहिए ।
  • अपने पैरों के साथ-साथ हथेलियों का उपयोग करके शरीर को ऊपर उठाएं ।
  • वजन को सही तरह से पारो और हाथो पर बाटे ।
  • अपने कंधे और जांघों को स्ट्रेच करें । अंतिम स्थिति में, शरीर एक पहिया के समान लगेगी । 
  • इस स्थिति को छोड़ने के लिए, आप शरीर को तब तक नीचे ना लाये, जब तक कि पीठ जमीन को न छू ले।
  • आप अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं या क्षमता के अनुसार इस चक्रासन मुद्रा को 30 सेकंड से 3 मिनट तक बनाए रख सकते हैं।

सावधानिया | Savdhaniya 

  • किसी भी तरह की पीठ की चोट या रीढ़ की समस्याओं से पीड़ित इसे ना करे । 
  • ग्लूकोमा, हृदय की बीमारियों, उच्च रक्तचाप से पीड़ित इसे ना करे ।  
  • गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के बाद के चरणों में चक्रासन करने से परहेज करना चाहिए । 
  • अपने चेहरे और कंधे को आराम से रखें, तुरंत अंतिम स्थिति पाने की कोशिश ना करे ।
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