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त्रिकोणासन संस्कृत शब्दों  'त्रि' जिसका अर्थ 'तीन', 'कोण जिसका अर्थ 'कोनों' और 'आसन' जिसका अर्थ "योग मुद्रा" इसे मिल कर बना है । इस आसन में शरीर त्रिभुज (triangle) आकार की तरह दिखता है। इसे आधार और बुनियादी आसन माना जाता है, क्यूंकि यह लगभग सभी शैलियों का हिस्सा है। 

त्रिकोणासन के लाभ

  • यह आसन पैरों, टखनों और घुटनों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
  • इसका अभ्यास पाचन शक्ति को बढ़ता है।
  • कूल्हों, जांघों और पीठ में मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है।
  • इसे करने से अतिरिक्त वसा जलता है जिसे मोटापे को कम किया जा सकता है।
  • यह संतुलन को बेहतर बनाने और एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है।
  • चिंता, तनाव को कम करने में लाभदायक है।
  • गैस्ट्र्रिटिस, अपच, एसिडिटी और पेट फूलने से राहत दिलाने में मदद करता है।
  • इसे करने से  रीढ़ को लचीला और पीठ के दर्द में रहती मिल है।

त्रिकोणासन कैसे करें

त्रिकोणासन - Trikonasana in hindi
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  • अपनी चटाई पर खड़े होना से शुरूवात करें ।
  • पैरों के बीच में 3 फ़ीट की दुरी बानिए ।
  • अपने दाहिने पैर को 90 डिग्री तक मोड़ें ।
  • अब अपने बाएं पैर को थोड़ा अंदर की ओर खींचें और 45 डिग्री का कोण बनाइए ।
  • यह सुनिश्चित करे की आपकी एड़ी एक दूसरे समान्तर हो ।
  • फिर दाहिने हाथ को ऊपर की ओर लेकर जाये, इसे समय बाएं हाथ की हथलियों से बाएं पैर पर या फर्श पर स्पर्श करे ।
  • अपने गर्दन को मोड़े और सिर ऊपर, नज़र आकाश या छत की तरफ रखे ।
  • अब वापिस पहले की स्थिति में आये और यह प्रक्रिया दूसरे पैर पर करे ।

एहतियात

  • माइग्रेन, डायरिया, निम्न या उच्च रक्तचाप होने पर इसका अभ्यास न करे ।
  • गर्दन, कूल्हों, पीठ या कंधों पर चोट होने पर इसे न करे।