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पवनमुक्तासन नाम संस्कृत के शब्दों से मिल कर बना है पवन का अर्थ वायु, मुक्त का अर्थ आज़ाद और आसन का अर्थ योग मुद्रा से है। पवनमुक्तासन को करने से आप आंतों में जमी गैस को आसानी से बाहर निकल सकते है। इसे पवन से राहत देने वाली मुद्रा या पवन मुक्ति मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है।

पवनमुक्तासन का अभ्यास करने से न केवल पेट फूलना और कब्ज से संबंधित समस्याओं को हल करने में मदद मिल सकती है, बल्कि यह पेट और श्रोणि क्षेत्र में वसा से छुटकारा पाने में भी मदद कर सकती है।

पवनमुक्तासन कैसे करें


शुरू में केवल 10 सेकंड के लिए इस आसन का अभ्यास करे और फिर अधिक प्रवीणता के साथ अवधि को लगभग 1 मिनट तक बढ़िया जा सकता है । इस आसन का अभ्यास रोज सुबह करना चाहिए ताकि पाचन तंत्र में फंसी हुई गैसें बहार निकली जाएं। भोजन के कम से कम चार से छह घंटे बाद इस योग का अभ्यास करना चाहिए, जब आपका पेट और आंत दोनों खाली होनी चाहिए।

पवनमुक्तासन करने की विधि

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credit : https://pixahive.com/photo/apanasana-knees-to-chest-pose/


इस आसन का अभ्यास तीन चरणों में किया जाता है।

  • पहले चरण में, पैरों को सीधा रखते हुए अपनी पीठ के बल लेट जाये। फिर अपने दाहिने घुटने को मोड़ते हुए पेट को दबाएँ सहायता के लिए अपने हाथों से पैर को पकडे । श्वास बाहर निकालते हुए, अपना सिर को ऊपर की उठाना है और अपनी ठुड्डी से घुटने को स्पर्श करिये जितना संभव हो सके। श्वास अंदर लेते हुए अपने पैरों को सीधा फैलाये।
  • दूसरे चरण में, यह पक्रिया अपने बाएं पैर से करनी हैं।
  • तीसरे चरण में, अपने पेट को दोनों पैरों से दबाना हैं, अपनी ठुड्डी को अपने घुटनों के बीच रखना हैं।

ऊपर के तीन चरण एक दौर बनाते हैं। इसका तीन या चार राउंड का अभ्यास किया जाना चाहिए।

पवनमुक्तासन के फायदे

  • पवनमुक्तासन पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है।
  • शरीर से विषाक्त गैसों को बाहर निकालने में मदद करता है।
  • पवनमुक्तासन कब्ज, पेट फूलना, अपच और एसिडिटी को ठीक करता है।
  • पीठ की मांसपेशियों के साथ-साथ पैरों और हाथों की मांसपेशियों को मजबूत बनता है।
  • पवनमुक्तासन प्रजनन अंगों को उत्तेजित करता है और पेल्विक मांसपेशियों को उत्तेजित करता है।
  • पेट, कूल्हे और जांघ क्षेत्र को टोन करता है।

सावधानियां

  • पवनमुक्तासन एक ऐसा मुद्रा है जिसे पुरुष और महिला दोनों आसानी से कर सकते हैं। हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि इसे करते समय गर्दन और शरीर के बाकी हिस्सों पर अधिक बल न डाले।
  • पवनमुक्तासन का अभ्यास उन लोगों को नहीं करना चाहिए जो हाल ही में पेट की सर्जरी करवा चुके हैं ।
  • बवासीर या हर्निया से पीड़ित लोगों को भी हर तरह से इस आसन से बचना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को कभी भी इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  • पवनमुक्तासन का अभ्यास उन लोगों को कभी नहीं करना चाहिए जो हृदय की समस्याओं, उच्च रक्तचाप, स्लिप डिस्क मासिक धर्म, अंडकोष के विकारों के साथ-साथ पीठ और गर्दन की समस्याओं जैसे स्वास्थ्य के मुद्दों का सामना कर रहे हैं।