शलभासन - Salabhasana in hindi
शलभासन या लोकस्ट पोज़ एक स्ट्रेचिंग पोज़ है जो की पेट, ऊपरी और निचले हिस्से पर केंद्रित होता है। इस योग मुद्रा के लाभ में लचीलापन और शक्ति का निर्माण करना होता है। इससे पीठ के बजाय पेट के बल लेट कर किया जाता है।
यह नाम संस्कृत के शब्द "शलभ" से आया गया है, जिसका अर्थ है "टिड्डी" होता है और इसका अभ्यास करते समय शरीर टिड्डे की तरह दिखता है।
आइये जानते है शलभासन योग को करने का सही तरीका और इसके लाभ ।
शलभासन की विधि | Salabhasana karne ki Vidhi
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- अपने पेट के बल लेट जाएँ, हथेलियों और भुजाओं को सीध में होनी चाहिए।
- अपनी ठोड़ी को चटाई पर रखे।
- श्वास लें और सिर, छाती और हाथों को फर्श से ऊपर उठाएं। अपनी बाहों को पीछे सीधा रखें।
- अपने पैरों को जोड़े ताकि आप घुटने फर्श से ऊपर आसानी से उठें सके।
- नज़र नीचे की ओर लगाए रखें ताकि आपकी गर्दन एक तटस्थ स्थिति में रहे।
- इस मुद्रा में तीन से पांच बार सांसों ले। साँस छोड़ने पर, शरीर को नीचे फर्श पर छोड़ दें। यह एक चक्र बनेगा इसका 2 से 3 बार अभ्यास करे।
शलभासन के फायदे | Salabhasana ke fayde
- यह रीढ़ की हड्डी को लचीला और ताकत को बढ़ाता है।
- रीढ़ में रक्त की आपूर्ति को बढ़ाता है।
- पीठ, कंधे, गर्दन और नितंबों की मांसपेशियों को टोन करता है।
- पाचन आग को प्रज्वलित करता है जिसे गैस्ट्रिक परेशानियों और कब्ज से छुटकारा मिलता है।
एहतियात | Ehatiyaat
- मासिक धर्म और गर्भवती होनी पर इस न करे ।
- सिरदर्द, माइग्रेन, उच्च रक्तचाप, ग्लूकोमा और थकान होने पर भी इस मुद्रा से बचें।
- यह उन लोगों के लिए नहीं है जिनकी पीठ, गर्दन, कंधे की चोट या हाल ही में पेट की सर्जरी हुई हो।