चन्द्रभेदी प्राणायाम के फायदे
चन्द्रभेदी प्राणायाम में बायीं नासिका का प्रयोग श्वास अंदर लेने और दायें नथुने से श्वास छोड़ने के लिए किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि साँस लेने पर, ऊर्जा इड़ा (चंद्र) नाड़ी से गुजरती है और साँस छोड़ने पर पिंगला या सूर्य नाड़ी के माध्यम से। चंद्र शब्द का अर्थ चंद्रमा है और भेदन का अर्थ छेदना और प्रवेश करना है। इसे चंद्र भेदन के नाम से भी जान जाता है।
चन्द्रभेदी प्राणायाम एक सरल और प्रभावी श्वास तकनीक है। चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है इसलिए इस प्राणायाम को करने से हमें अपने शरीर में शीतलता का अनुभव होता है। यह शरीर को ठंडा रखने के लिए सबसे अच्छी और प्रभावी श्वास प्रक्रिया है। इसमें श्वास बायीं नाड़ी द्वारा लिया जाता है और दाहिनी नाड़ी या दाहिनी नासिका से श्वास छोड़ जाता हैं।
चन्द्रभेदी प्राणायाम के लाभ
- शरीर की गर्मी को कम करने में सहायक।
- दिल की जलन की समस्या में उपयोगी।
- शरीर और मन को ताजगी देता है और आलस्य को दूर करता है।
- हाई ब्लड प्रेशर में बहुत ज्यादा असरदार।
- चंद्र भेदन प्राणायाम ज्वर में उपयोगी।
- पित्त के प्रवाह को कम करता है।
- इस प्राणायाम के नित्य अभ्यास से मन स्थिर हो जाता है।
- तनाव और अन्य मानसिक समस्याओं को कम करने में उपयोगी।
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चन्द्रभेदी प्राणायाम की विधि
- पद्मासन आदि आसान में बैठने से शुरवात करे।
- दाहिने नथुने को बंद करने के लिए अपने दाहिने अंगूठे का उपयोग करें।
- बायीं नाड़ी से धीरे-धीरे और गहरी सांस लें, जब तक कि आपके फेफड़े अधिकतम हवा से भर न जाएं।
- सांस को कुछ देर या अपनी क्षमता के अनुसार रोक कर रखें।
- दाहिनी नाड़ी के माध्यम से धीरे-धीरे सांस छोड़ें, (साँस छोड़ना साँस लेने से लंबा होना चाहिए)।
- इस प्रक्रिया को करीब 10 बार दोहराएं।
एहतियात
अस्थमा, लो ब्लड प्रेशर, खांसी-जुकाम और श्वसन तंत्र से जुड़ी समस्या होने पर चंद्र भेदन प्राणायाम न करें। प्रारंभिक अवस्था में 2 महीने तक अपनी सांस को रोककर न रखें। प्रारंभिक अवस्था में केवल बायीं नासिका से श्वास लें और दायें नासिका छिद्र से श्वास छोड़ें।
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