धनुरासन योग के फायदे
इस मुद्रा को धनुरासन योग इसलिए कहा जाता है क्योंकि शरीर इसमें एक धनुष के सामान देखता है। धनुरासन 12 बुनियादी हठ योग आसन में से एक है। इसे उर्वा चक्रासन के रूप में भी जाना जाता है । धनुरासन योग के फायदे को समझ ने के लिए इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ें।
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धनुरासन के लाभ
- यह टखनों, जांघों, कमर, छाती, कंधों, गर्दन, रीढ़ की हड्डी और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है और उन्हें लचीला बनाता है।
- धनुरासन का अभ्यास करने से आपको कैलोरी कम करने और अपने शरीर की चर्बी को जलाने में मदद मिलती है, खासकर पेट में। यह पैरों और हाथ की मांसपेशियों को टोन करने में भी मदद करता है।
- यह थकान और सुस्ती को कम करने के लिए बेहद मददगार है। यह आसन नाभि क्षेत्र में नसों को उत्तेजित करता है, पाचन तंत्र और प्रजनन प्रणाली में सुधार करता है।
- यह पाचन और भूख में भी सुधार करता है।
- धनुरासन पूरे शरीर और सभी अंगों में बेहतर रक्त परिसंचरण में मदद करता है ।
- धनुरासन पीठ दर्द को ठीक करने के लिए एक उत्कृष्ट आसन है क्योंकि यह पीठ में नसों और मांसपेशियों को अच्छा खिंचाव देता है।
- यह मासिक धर्म की परेशानी और कब्ज के लिए भी बहुत मददगार है।
- तनाव और थकान को कम करता है।
धनुरासन कैसे करें?
धनुरासन करने से पहले सुनिश्चित करें
- भोजन करने के 4-5 घंटे बाद इस आसन को करें।
- इस आसन को सुबह के समय करना सबसे अच्छा होता है। हालांकि, अगर किसी कारण से आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं, तो इसे अपने शाम के समय अभ्यास करें।
धनुरासन करने की विधि
- अपने पेट के बल लेटें से शुरुवात करे ।
- घुटनों को मोड़ें हुए, अपने हाथों को पीछे की ओर ले जाएं और अपनी टखनों को पकड़ें।
- सांस अंदर लें और अपनी छाती को जमीन से ऊपर उठाएं और अपने पैरों को ऊपर और पीछे की ओर खींचें।
- इसे समय सीधे आगे की तरफ देखें।
- अपनी सांसों पर ध्यान देते हुए मुद्रा को स्थिर रखें। शरीर अब घुमावदार और धनुष की तरह तना देखे गए
- इस मुद्रा में आराम लंबी, गहरी सांसें लेते रहे।
- 15-20 सेकेंड के बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपने पैरों और छाती को जमीन पर लाएं। टखनों को छोड़ें और आराम करें।
जितना हो सके पीछे झुकें। असहज होने पर टखनों को न पकड़ें। यदि आप अपनी टखनों को पकड़ने में मुश्किल होने पर एक पट्टा का भी उपयोग कर सकते हैं।
धनुरासन (धनुष मुद्रा) का अभ्यास किसे नहीं करना चाहिए?
- महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान इस योग मुद्रा का अभ्यास करने से बचना चाहिए।
- उच्च या निम्न रक्तचाप
- हर्निया
- गर्दन की चोट
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द
- सिरदर्द या माइग्रेन
- हाल ही में पेट की सर्जरी