सिद्धासन करने का तरीका
सिद्धासन की परिभाषा
सिद्धासन, जिसे सिद्ध मुद्रा या संपूर्ण मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है, एक शुरुआती स्तर का योगासन है। मुद्रा का नाम दो अलग-अलग संस्कृत के शब्दो से मिल बना है। सिद्ध, जिसका अर्थ है पूर्ण या सिद्ध और आसन जिसका अर्थ है मुद्रा। इस योगासन को लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं इसलिए यह ध्यान करने के लिए भी आदर्श है।
यह आपके कूल्हों और कमर/जांघ की भीतरी मांसपेशियों में लचीलापन बढ़ाने के लिए भी एक उत्कृष्ट व्यायाम है।
जिसका उपयोग ध्यान और बहुत से योग अभ्यासों के लिए किया जाता है। सिद्धासन का उल्लेख हठ योग प्रदीपिका में किया गया है, जो की ध्यान के लिए अनुकूल चार सबसे शक्तिशाली आसनों में से एक है।
कुछ लोग सिद्धासन को ध्यान के सभी आसनों में सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। हठ योग प्रदीपिका में कहा गया है कि एक योग साधक हमेशा सिद्धासन का अभ्यास करना चाहिए। सिद्धासन का अभ्यास शरीर में सभी 72,000 नाड़ियों या ऊर्जा चैनलों को शुद्ध करता है, जिसके माध्यम से प्राण बहती है।
सिद्धासन कैसे करें
- फर्श पर या अपनी योगा मैट पर बैठ जाएं और अपने पैरों को एक-दूसरे थोड़ी दूरी पर रखें।
- अब अपने बाएं पैर को पेरिनेम पर रखें। ( यह क्षेत्र है गुदा और पुरुष प्रजनन ग्रंथि के बीच होता है )। महिलाओं को अपने बाएं पैर को योनि के लेबिया मेजा में रखना चाहिए।
- दाहिने पैर को बाईं ओर रखें।
- सुनिश्चित करें कि घुटने जमीन के संपर्क में हों।
- अपनी रीढ़ को सीधा रखें और अपनी ठुड्डी को अपनी छाती से दबाएं।
- अपनी श्वास पर ध्यान केंद्रित करें, और यथासंभव आराम से इस मुद्रा को बनाए रखें।
सिद्धासन के लाभ
- सिद्धासन मुद्रा कूल्हों, योजकों, घुटनों और टखनों को मजबूत बनता है।
- नियमित रूप से सिद्धासन का अभ्यास करने से तनाव के स्तर को कम करने और चिंता से जुड़े लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।
- प्राणायाम और ध्यान के लिए सिद्धासन सबसे उपयुक्त योगासन है।
- यह कूल्हे के जोड़ों को खोलता है और रीढ़ के निचले हिस्से में लचीलेपन में सुधार करता है।
- सिद्धासन तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क की गतिविधियों को शांत करता है जिसे सारा शरीर शांति का अनुभव करता है।