शशांकासन के लाभ
शशांकासन को चंद्रमा और खरगोश आसन के रूप में भी जाना जाता है। यह देखने में खरगोशों द्वारा अक्सर अपनाई जाने वाली स्थिति होती है।
'शशांक' एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है चाँद और खरगोश होता है । चंद्रमा शांति का प्रतीक है। शशांकासन का व्यक्ति पर शीतल प्रभाव पड़ता है।
शशांकासन करने के फायदे
यह एक सरल आसन है जो शरीर और मन को कई लाभ प्रदान करता है।
- यह पीठ की मांसपेशियों को स्ट्रेच करता है जिससे विभिन्न प्रकार के पीठ दर्द में आराम मिलता हैं।
- यह एड्रेनल ग्रंथियों के कामकाज को भी नियंत्रित करता है।
- यह पैल्विक मांसपेशियों और नसों को टोन करता है ।
- यह नर और मादा दोनों प्रजनन अंगों के विकारों को कम करने में भी मदद करता है।
- इसके नियमित अभ्यास से कब्ज दूर होती है।
- यह गुस्से को खत्म करने में मदद करता है और दिमाग पर ठंडक प्रदान करता है।
शशांकासन की विधि
किसी भी प्रकार की चोट से बचने और आसन के अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए शरीर को सही तरीके से संरेखण किया जानना आवश्यक है। शशांकासन का सही तरीके से अभ्यास करने के चरण नीचे दिए गए हैं।
- हथेलियों को घुटनों के ठीक ऊपर जांघों पर टिकाकर वज्रासन में बैठ जाएं। आंखें बंद रखें और पूरे शरीर को आराम दें।
- सांस भरते हुए बाजुओं को सिर के ऊपर उठाएं। कोहनी सीधी होनी चाहिए।
- सांस छोड़ें और धीरे-धीरे धड़ को आगे की दिशा में ले जाएं।
- बाजुओं को थोड़ा झुकाकर रखें और हाथों, माथे और कोहनियों को चटाई पर टिका दें। हाथ घुटनों के सामने होने चाहिए। यह अंतिम स्थिति है।
- जब तक आरामदायक हो तब तक स्थिति बनाए रखें। इसका अभ्यास एक मिनट से 5 मिनट तक किया जा सकता है।
- मूल स्थिति में वापस जाने के लिए, साँस छोड़ें और धीरे-धीरे माथे, बाहों को पीछे उठाएं और गहरी सांसें लें।
- धीरे-धीरे अवधि बढ़ाते हुए 3 बार करें।
सावधानियां
आसन शुरू करने से पहले सावधानियों के बारे में पता होना चाहिए।
- चक्कर आना, उच्च रक्तचाप, घुटने की समस्या या स्लिप डिस्क होने पर इसे न करे।
- गर्भवती महिलाओं को भी इस आसन के अभ्यास से बचना चाहिए।