भुजंगासन
भुजंगासन की परिभाषा
भुजंगासन संस्कृत के शब्दों से मिल कर बना है "भुजंग" जिसका अर्थ है "सर्प" और "मुद्रा" का अर्थ "आसन"। सरल आसान होने के कारण यह अनुभवहीन और नौसीखिए के लिए बहुत बढ़िया है। भुजंगासन सूर्य नमस्कार का एक आवश्यक अंग है। जिस तरह सर्प अपने शरीर के ऊपरी भाग को सीधा रखते हुए आगे की ओर सरकता है । जब आप इस मुद्रा का अभ्यास करते हैं तो आप साँप के शक्तिशाली गति का अनुकरण करने का प्रयास करते है।credit : https://pixabay.com/photos/people-woman-yoga-mat-meditation-2557545/ |
भुजंगासन कैसे करें
- पेट के बल लेट जाये ।
- दोनों हाथ की हथलियों को छाती के बगल में लाये ।
- गहरा साँस ले कर ।
- जितना असंभव हो सके धीरे धीरे ठोड़ी ऊपर की ओर ले कर जाये ।
- फिर छाती और पेट नाभि तक शरीर को पीछे की ओर ले जाये ।
- कुछ समय इस सिथि में रहने के बाद साँस छोड़े हुए पहली की मुद्रा में आये ।
भुजंगासन के फायदे
- कंधों की मांसपेशियों, छाती और पेट के निचले भाग में खींचव पैदा करता है ।
- रीढ़, बाजुओं और कंधों को मजबूत और लचीला बनता है ।
- इसका अभ्यास क करने से तनाव और थकान मे राहत मिलती है ।
- दिल को मजबूत और फेफड़ों के मार्ग को साफ करने में मदद करता है ।
- रक्त और ऑक्सीजन के संचलन में सुधार करता है।
- पाचन में सुधार करता है ।
- अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद करता है ।
भुजंगासन मे सावधानियां
- पीठ, हाथ या कंधे या पुरानी चोट होने पर इसे बचे ।
- हाल ही में पेट की सर्जरी में हुई हो तो इसे अभ्यास न करे ।
- गर्भावस्था मे इसका अभ्यास न करे ।