शीतकारी प्राणायाम - Sheetkari Pranayama
शीतकारी प्राणायाम शरीर को ठंडा करता है। शीतकारी प्राणायाम का उल्लेख हठ योग प्रदीपिका में किया गया है।शीतकारी, शीतली प्राणायाम से काफी मिलती-जुलती है। शीतकारी में, जीभ को एक नाली (ट्यूब) की तरह नहीं बनिया जाता। इसके बजाय, ऊपरी तले को छुवाह जाता है। फिर दांतों को जकड़ा जाता है और होठों को अलग रखा जाता है। जिन लोगों को शीतली प्राणायाम करना कठिन लगता है वे आसानी से शीतकारी अभ्यास कर सकते हैं और इसी तरह के लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
यदि आप सर्दी से पीड़ित हैं तो शीतकारी प्राणायाम न करें। लेकिन अगर आप गर्म वातावरण में हैं, तो यह शरीर को ठंडा करने के लिए आदर्श प्राणायाम है।
शीतकारी प्राणायाम कैसे करें | Sheetkari Pranayama Kaise Kare
पद्मासन या सिद्धासन में बैठें। अपनी जिह्वा के अग्रभाग को तालू में लगाएं। दांतों तथा जबड़ों को भींचकर होठों के दायें-बायें से मुख से श्वास अंदर खींचें, जिससे सीत्कार की सी आवाज हो। फिर शीतली प्राणायाम की तरह ही आंतरिक कुंभक करें तथा बंध लगाएं। धीरे-धीरे आंतरिक कुंभक अधिक देर तक करने का अभ्यास करें।शीतकारी प्राणायाम करने की पूरी विधि | Sheetkari Pranayama Ki Vidhi
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- किसी भी आरामदायक आसन में बैठें।
- जीभ को ऊपर की ओर रोल करें ताकि जीभ का निचला हिस्सा ऊपरी तालु को छूए।
- दांतों को एक साथ मिलाएं। होठों को अलग रखें ताकि दांत देखे ।
- धीरे-धीरे सांस लें। पहले पेट, फिर छाती और अंत में गर्दन का क्षेत्र भरें। सांस लेते समय, एक हल्की "हिस" ध्वनि उत्पन्न होगी। यह सांप के हिसिंग के समान होती है ।
- सांस को कुछ समय के लिए रोके।
- नाक के माध्यम से धीरे-धीरे साँस छोड़ें।
- यह शीतकारी प्राणायाम का एक दौर है। आप जितने सहज महसूस कर सकते हैं, उतने बार कर सकते हैं।
शीतकारी प्राणायाम के फायदे | Sheetkari Pranayama Ke Fayde
इस प्राणायाम के लाभ शीतली प्राणायाम के लाभ की तरह ही हैं। यह गले के रोगों को ठीक करता है। मुख के छालों को लाभ देता है। मुख की दुर्गंध तथा पायरिया आदि रोगों में नियमित करने से लाभ मिलता है। शरीर में ठंडक पहुंचाता है।यदि आप सर्दी से पीड़ित हैं तो शीतकारी प्राणायाम न करें। लेकिन अगर आप गर्म वातावरण में हैं, तो यह शरीर को ठंडा करने के लिए आदर्श प्राणायाम है।