कुक्कुटासन
यह नाम संस्कृत के शब्द कुक्कुट से लिया गया है जिसका अर्थ मुर्गा होता है और आसन जिसका अर्थ योग करने की मुद्रा से है। कुक्कुटासन की अंतिम स्थिति में शरीर का आकार मुर्गा जैसा दिखता है।
इस योगासान का उल्लेख हठ योग प्रदीपिका और घेरण्ड संहिता जैसे प्राचीन योग शास्त्रों में किया गया है। यह एक जटिल आसन है जिसे अच्छी तरह से करने के लिए हाथ की ताकत की आवश्यकता होती है।
कुक्कुटासन की विधि
अन्य योग आसनों की तरह, यह आवश्यक है कि जब आप इस आसन का अभ्यास करे तो आपकी पेट और आंत खाली होनी चाहिए । सुनिश्चित करें कि आपके भोजन और अभ्यास के बीच में कम से कम चार से छह घंटे का अंतर हो । सुबहे और शाम सबसे उत्तम समय है अभ्यास करने का।
कुक्कुटासन करने का तरीका
यह योगासन पद्मासन और बकासन का संयोजन है।
- पद्मासन में बैठने से शुरवात करे।
- अभ्यास करते समय रीढ़ को सीधा रखें।
- जांघ और बछड़े की मांसपेशियों के अंतर के बीच अपनी बाहों को फिट करें और अपनी हथेलियों को फर्श से छूने दें।
- अपनी उंगलियों को फैलाएं फिर जितना संभव हो उतना धक्का दें और सास अंदर लेते हुए पूरे शरीर को उठाने की कोशिश करे।
- बहुत अभ्यास करने के बाद आप शरीर के वजन को हथेलियों पर संतुलन करने में सफल हो जायगे।
- इस स्थिति में सामान्य रूप से सांस लें।
- साँस छोड़ें और जमीन पर वापिस लोटे।
कुक्कुटासन के फायदे
- मूलाधार चक्र को उत्तेजित करने में सहायक।
- यह आसन बाहों और कंधों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- यह आसन संतुलन और स्थिरता बनाता है और आपको ध्यान केंद्रित करने में भी मदद करता है।
- पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है।
- मासिक धर्म की परेशानी और कूल्हे के दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।
- कुक्कुटासन करने से तनाव में कमी के साथ, चिंता और बेचैनी कम हो जाती है।
सावधानियां
- गर्भवती महिलाओं को इससे बचना चाहिए और जिन्हे मासिक धर्म हैं।
- सरदर्द, उच्च रक्तचाप, हृदय और फेफड़ों की समस्या, पीठ दर्द, हर्निया, गैस्ट्रिक अल्सर या घुटने की चोट होने पर न करे।
- इसका अभ्यास तभी करें जब आपकी बाहों और कलाई में पर्याप्त ताकत हो। घायल कलाई, कमजोर कोहनी या कंधे होने पर कुक्कुटासन का अभ्यास करने से बचे।
- एक योग प्रशिक्षक की उपस्थिति में अभ्यास करने की सलाह दी जाती है। अपनी ताकत और क्षमता के अनुसार अभ्यास करें।