प्राणायाम योग - Pranayama Yoga
प्राणायाम योग का एक अभिन्न अंग है। प्राणायाम से ऊर्जा को नियंत्रित किया जा सकता है और स्वस्थ शरीर को प्राप्त किया जा सकता है। पतंजलि ने अपने योग सूत्र के पाठ में प्राणायाम को जागरूकता की उच्च अवस्था को प्राप्त करने के साधन के रूप में उल्लेख किया है।
प्राणायाम की परिभाषा | Pranayama Ki Paribhasha
प्राणायाम एक संस्कृत शब्द है जिसे वैकल्पिक रूप से "प्राण का विस्तार"(साँस पर नियंत्रण या जीवन शक्ति) के रूप में अनुवादित किया जाता है। यह शब्द दो संस्कृत शब्दों से बना है: प्राण का अर्थ है साँस या जीवन शक्ति और याम का अर्थ है (प्राण को नियंत्रित करना ) ।
प्राणायाम मुख्य रूप से तीन चरणों में विभाजित है ।
वैसे तो, यदि प्रात:काल, खाली पेट प्राणायाम का अभ्यास किया जाए तो वह ज्यादा सही है, पर यदि ऐसासंभव न हो, तो भोजन के 3-4 घंटे बाद ही यह अभ्यास करना चाहिए। जैसा कि ऊपर निर्देश दिया गया है कि प्राणायाम शीत और ग्रीष्म ऋतुओं से भी संबंधित हैं, इसलिए इस बात का भी अभ्यास में ध्यान रखें अर्थात् सर्दियों में शीतली व शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास न करें और गर्मियों में भस्त्रिका और सूर्यभेदी का । साथ ही, शीतली व शीतकारी प्राणायाम वातप्रकृति वाले साधक को भी नहीं करना चाहिए।
- पूरक(साँस लेना)
- कुम्भक (साँस रोकना )
- रेचक (साँस छोड़ना )
प्राणायाम के भेद
प्राणायाम के प्रकारों को लेकर योग के ग्रंथों में अलग-अलग विचार हैं। इस क्रिया के लगभग 50 प्रकारों का वर्णन ग्रंथों में मिलता है। लेकिन यहां पर अग्निसार, कपालभाति, भस्त्रिका, शीतली, शीतकारी, सूर्यभेदी, उज्जायी, भ्रामरी और नाड़ीशोधन इन 9 प्राणायामों का वर्णन किया जा रहा है। इनमें से भस्त्रिका और सूर्यभेदी प्राणायाम सर्दियों के लिए विशेष तौर पर लाभदायक हैं और शीतली व चंद्रभेदी ग्रीष्मऋतु में विशेष लाभ देते हैं, जबकि नाड़ीशोधन, उज्जायी, भ्रामरी और कपालभाति को सर्दी-गर्मी दोनों ऋतुओं में किया जा सकता है।वैसे तो, यदि प्रात:काल, खाली पेट प्राणायाम का अभ्यास किया जाए तो वह ज्यादा सही है, पर यदि ऐसासंभव न हो, तो भोजन के 3-4 घंटे बाद ही यह अभ्यास करना चाहिए। जैसा कि ऊपर निर्देश दिया गया है कि प्राणायाम शीत और ग्रीष्म ऋतुओं से भी संबंधित हैं, इसलिए इस बात का भी अभ्यास में ध्यान रखें अर्थात् सर्दियों में शीतली व शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास न करें और गर्मियों में भस्त्रिका और सूर्यभेदी का । साथ ही, शीतली व शीतकारी प्राणायाम वातप्रकृति वाले साधक को भी नहीं करना चाहिए।
प्राणायाम के प्रमुख प्रकार
- भस्त्रिका प्राणायाम
- भ्रामरी प्राणायाम
- उद्गीथ प्राणायाम
- शीतली प्राणायाम
- शीतकारी प्राणायाम
- उज्जायी प्राणायाम
- अनुलोम-विलोम प्राणायाम
- कपालभाति प्राणायाम
- नाड़ीशोधन प्राणायाम
- सूर्यभेदी प्राणायाम
- चन्द्रभेदी प्राणायाम
- बाह्य प्राणायाम
- मूर्छा प्राणायाम
- प्लाविनी प्राणायाम
प्राणायाम कैसे करें | Pranayama Kaise Kare
प्राणायाम योग आसन के अभ्यास के बाद किया जाना चाहिए। प्राणायाम में श्वास केवल नाक के माध्यम से ली जाना चाहिए सिवाय शीतलता और शीतकारी प्राणायाम में। प्राणायाम के दौरान, आँखें बंद करे, गहरी सांस अंदर ले इसे समय कुछ न सोचे । जितना सभव हो सके सांस को रोके और धीरे धीरे सांस बहार निकले ।
इसके तीन चरण हैं जिन्हीं आप प्राणायाम क्रम भी कह सकते है ।
धीमी गति से श्वास लें (जितना संभव हो उतना गहरी), बहुत धीरे-धीरे और लगातार। यह सोचना चाहिए कि आप आप ऊर्जा को अपने शरीर में ले रहे हैं।
साँस को तब तक रोके रखें जब तक आरामदायक हो। इस समय के दौरान, सोचें कि प्राण (ऊर्जावान सांस) मस्तिष्क से लेकर पैर तक पूरे शरीर को साफ कर रही है।
साँस छोड़ने की अवधि साँस लेने की अवधि से अधिक होनी चाहिए। साँस छोड़ते समय, सोचें कि आपके शरीर और दिमाग की सभी अशुद्धियाँ जो साफ़ हो गई थीं, अब शरीर से बाहर निकल गयी है ।
अपनी सुविधा के आधार पर तीन से दस बार के लिए चरणों को दोहराएं। प्राणायाम के बाद, आपको कम से कम पांच मिनट के लिए एक ही जगह पर बैठने चाहिए।
प्राणायाम के नियम | Pranayama Ke Niyam
प्राणायाम शुरू करने से पहले सूर्य नमस्कार, कोई गतिशील व्यायाम या योग आसन करे इसे फेफड़ों फुलते और सिकोड़ते है ।
खाली पेट या चाय, कॉफी के 15 मिनट बाद प्राणायाम करे।
प्राणायाम स्थान - पर्याप्त हवा, प्रकाश के साथ स्थान शोर मुक्त और विशाल होना चाहिए। यदि एक बंद कमरे में करे, तो खिड़कियों को खुला रखे ।
प्राणायाम आसन - फर्श पर एक चटाई पर बैठें, रीढ़ (पीठ) को सीधा और सामने की तरफ देखे । घुटने की समस्या वाले लोगों के लिए और जो फर्श पर नहीं बैठ सकते वहे एक कुर्सी का उपयोग करे ।
प्राणायाम के लाभ | Pranayama Ke Fayde
- प्राणायाम तनाव संबंधी विकार के इलाज में फायदेमंद है।
- यह अस्थमा के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करता है।
- प्रतिदिन प्राणायाम का अभ्यास करने से स्थिर दिमाग और दृढ़ इच्छा शक्ति में सहायता करता है।
- कुछ प्राणायाम वजन घटाने के लिए उत्कृष्ट है।
प्राणायाम में सावधानियां | Pranayam Karte Samay Savdhaniya
- यह गर्भवती महिला या 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं है।
- अस्थमा, पुरानी खांसी जैसी श्वसन समस्याओं वाले लोगों इसे न करे।
- गंभीर बीमारियों वाले लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है जैसे कि हृदय की स्थिति, कैंसर आदि।