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क्या आप जानते है ? कि पूरे शरीर को एक साथ और स्वस्थ रखने के लिए रीढ़ की हड्डी की विशेष भूमिका होती है । यह शरीर को मजबूत और सीधे खड़े करने में मदद करती है, लेकिन हमारे गलत जीवन शैली के कारण हमें पीठ और कमर दर्द की समस्याओं का सामना करना पड़ता जाता हैं।

क्या कमर दर्द के लिए योग अच्छा है ? जवाब निश्चित रूप से हाँ है ! कुछ योग आसन चुनौतीपूर्ण लग सकते हैं, लेकिन अभ्यास करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और दर्द मे भी कमी होती  है।

पीठ और कमर दर्द के लिए योगासन


भुजंगसन  | Bhujangasana

भुजंगासन की विधि | Bhujangasana Ki Vidhi
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सूर्य नमस्कार की 12 आसान में से यह एक आसन है । भुजंगसन शब्द संस्कृत से बना है, भुजंग जिसका अर्थ है "सांप" और आसन जिसका अर्थ है "मुद्रा"। इस आसन में शरीर सांप के सामान देखता है ।

भुजंगासन की विधि

  • अपने पेट के बल लेट जाये ।
  • फिर, अपने हाथों को सामने ले जाएं, सुनिश्चित करें कि वे कंधे के स्तर पर हैं, और अपने हथेलियों को फर्श पर रखें।
  • अब, अपने शरीर के वजन को हथेलियों पर डाले धीरे-धीरे अपना सिर को ऊपर बढ़ाएं। 
  • ध्यान दें कि इस दौरान पर आपने सर और गर्दन को पीछे की ओर खींच का प्रयास करे ।
  • सांस लेने के दौरान कुछ सेकंड के लिए आसन में रहे।
  • धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए अपने हाथों को किनारों पर वापस लाएं, और अपने माथे को फर्श में लाकर, जमीन पर आराम करें। अपने हाथ अपने सिर के नीचे रखें। 
  • फिर, धीरे-धीरे अपने सिर को एक तरफ रखे। तीन बार इस मुद्रा को दोहराएं।

भुजंगासन के लाभ

भुजंगसन पीठ और पेट को प्रभावित करता है। पीठ, निचले हिस्से की मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी को लचीला और मजबूत बनाता है । पीठ में किसी भी तरह के दर्द में राहत मिली है। यह पाचन, प्रजनन, और मूत्र प्रणालियों को उत्तेजित करता है। यह मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने में भी मदद करता है।

अर्धमत्स्येन्द्रासन

इस आसन का नाम योगी, मत्स्येंद्रनाथ के नाम पर रखा गया है। यह नाम संस्कृत शब्द अर्ध से लिया गया है, जिसका अर्थ आधा, मत्स्य्य जिसका अर्थ है मछली, इंद्र जो की हिन्दू देवता है, और आसन जिसका अर्थ मुद्रा। यह हठ योग में उपयोग किए जाने वाले 12 मूल आसनों में से एक है, और यह पीठ के लिए बेहद फायदेमंद है।

अर्धमत्स्येंद्रासन की विधि | Ardha Matsyendrasana Ki Vidhi
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अर्धमत्स्येंद्रासन की विधि

  • वज्रसन की स्थिति में बैठें ।
  • अपने बाएं पैर को झुकाएं और अपने अपने दाहिने कूल्हे को छूने का प्रयास करें।
  • बाएं घुटने के बाहर अपना दाहिना पैर लाये,  जमीन पर अपने पैरों को छूएं और अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखे ।
  • अपने ऊपरी शरीर को दाईं तरफ की ओर मुड़ें। बाएं हाथ से अपने दाहिने पैर पकडे और ऊपर के छवि में दिखाए गए अनुसार अपने दाहिने हाथ को जमीन पर रखें।
  • सामान्य रूप से सांस लें और इस मुद्रा में 20 से 30 सेकंड तक रहे । अभ्यास के बाद, आप इस मुद्रा को 3 से 5 मिनट तक सकते हैं।
  • अब इस मुद्रा को छोड़ दें और दाएं पैर को झुकाकर और दाहिने घुटने के बाहर बाएं पैर लाने के साथ इस चक्र को दोहराएं। (यानी विपरीत दिशा घूमे )।

बितिलासन और मार्जरासन

'मार्जरासन' का अर्थ है 'बिल्ली' और 'आसन' का मतलब 'मुद्रा', इसलिए इसे मारर्जियासन कहा जाता है । बिटिलसान संस्कृत शब्द बतिला से लिया गया है जिसका अर्थ गाय है। इस मुद्रा में शरीर गाय जैसा दिखता है। यह आसन मार्जरासन आसन के साथ अभ्यास किया जाता है। यह निचले हिस्से में किसी भी दर्द से छुटकारा दिलाने में मदद करते  है।

बितिलासन कैसे करे | Bitilasana  Kaise Kare
बितिलासन


मार्जरासन कैसे करे | Marjariasana Kaise Kare
मार्जरासन


बितिलासन और मार्जरासन कैसे करे

  • हाथों, घुटनों और पैर शरीर का वज़न डालते हुए आसान को प्रारंभ करे ।
  • साँस ले, और अपनी ठोड़ी ऊपर की तरफ बढिये और अपने सिर को पीछे झुकाए ।
  • अपनी पेट को नीचे की तरफ झुकाए और अपनी कूल्हों ऊपर उठाए ।
  • सास छोड़ते हुए रीढ़ की हड्डी को ऊपर की तरफ उठाए ।
  • इसे दोरान सिर को नीचे झुकाए और अपनी नाभि की तरफ देखे ।
  • इसे एक से तीन मिनट के लिए करें।

पश्चिमोत्तानासन

यह हठ योग के मूल आसान में से एक है, यह नाम संस्कृत शब्द (पश्चिम) से आता है जिसका अर्थ है पश्चिम दिशा या पीठ, उत्तान जिसका अर्थ है तीव्र खिंचाव और आसन जिसका अर्थ है मुद्रा ।

पश्चिमोत्तानासन कैसे करे

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  • योग चटाई पर बैठे  ।
  • अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखे, और अपने पैरों को अपने सामने की तरफ रखे ।
  • गहराई से श्वास ले, और हाथ को ऊपर लाये श्वास छोड़े ।
  • हथलियों से अपने पैरो के पंजा को छूने का परियास करे  ।
  • सिर को घुटना की तरफ झुकाए जीताना संभव हो सके बना दर्द के, मुद्रा के समय गहरी श्वास ले ।
  • श्वास छोड़ते हुए वापस शरुवाती मुद्रा में आये ।