योग का महत्व
योग की परिभाषा
योग प्राचीन भारत के संतों द्वारा विकसित ध्यान की एक पारंपरिक पद्धति है। योग, मन और शारीरिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिया भी किया जाता है।
"योग" संस्कृत शब्द से उत्पन्न हुआ है इसका अर्थ है "शामिल होना, एकजुट होना"। योग से शरीर, मन, चेतना और आत्मा को एकजुट करके संतुलन में लाया जाता है । जिसे योग हमारी रोजमर्रा की मांगों, समस्याओं और चिंताओं का सामना करने में सहायता करता है।
योग के लाभ
खुशाल रहना हर मन्ननुष की इच्छा है, हालांकि आधुनिक समय में अधिक से अधिक शारीरिक और भावनात्मक मांगों बढ़ती जा रही है । परिणाम स्वरूप अधिक से अधिक लोग शारीरिक और मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हो रहे। जिसमे तनाव, चिंता, अनिद्रा शामिल है। यही कारण है कि स्वास्थ्य की सुधार के लिए तरीके और तकनीक खोजे जा रहे है।
credit : https://pixabay.com/photos/yoga-woman-nature-landscape-1812695/ |
जब शरीर शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है, तो मन स्पष्ट, केंद्रित और तनाव पर नियंत्रण होता है । जब आप स्वस्थ होते हैं तो आप अपने भीतर मन के साथ, दूसरों के साथ और आपके संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति के साथ जोड़ सकते हैं ।
योगासना करते समय आप सांस पर ध्यान देंते है, सांस पर ध्यान तनाव और चिंता से मुक्त करता है । नियमित योग अभ्यास करने से अनिद्रा को ठीक करने में मदद मिलती है और गहरी नींद आती है जिसे ऊर्जा को बनाए रखने में भी मदद करता है। विभिन्न प्रकार के रोगों के लिए योग एक प्रभावी उपचार है क्योंकि यह उन लक्षणों को कम कर सकता है जो कि बीमारियों का कारण बनते हैं, जैसे कि अकड़न, थकान और कमजोरी। यहां तक कि बच्चे भी योग का अभ्यास कर सकते है ।
योगासना करते समय आप सांस पर ध्यान देंते है, सांस पर ध्यान तनाव और चिंता से मुक्त करता है । नियमित योग अभ्यास करने से अनिद्रा को ठीक करने में मदद मिलती है और गहरी नींद आती है जिसे ऊर्जा को बनाए रखने में भी मदद करता है। विभिन्न प्रकार के रोगों के लिए योग एक प्रभावी उपचार है क्योंकि यह उन लक्षणों को कम कर सकता है जो कि बीमारियों का कारण बनते हैं, जैसे कि अकड़न, थकान और कमजोरी। यहां तक कि बच्चे भी योग का अभ्यास कर सकते है ।
योग का इतिहास
भारत में कई हजारों साल पहले, ऋषियों और संतों ने भौतिक और आध्यात्मिक क्षेत्र के नियमों की खोज की ।इसे योग की उत्पत्ति हुई और इसमे शरीर, सांस, एकाग्रता, विश्राम और ध्यान के मूल्यवान, व्यावहारिक निर्देश दिए गए।
योग के मुख्य लक्ष्य हैं |
- शारीरिक स्वास्थ्य
- मानसिक स्वास्थ्य
- सामाजिक स्वास्थ्य
- आध्यात्मिक स्वास्थ्य
- आत्म-बोध
इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की विधि
- सभी जीवों के लिए प्यार
- जीवन का सम्मान, प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण
- मन की शांति
- शाकाहारी भोजन
- शुद्ध विचार और सकारात्मक जीवन शैली
- शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास
- सभी संस्कृतियों और धर्मों के लिए सहिष्णुता
योग के प्रकार
योग को शारीर की पूरी तरह से सुधार के कारण जाना जाता है। प्राणायाम योग का एक महत्वपूर्ण छोटा हिस्सा है। पतंजलि ने अपने योग सूत्र मे वर्णन किया है की - यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारण, ध्यान और समाधि - योग के आठ अंग (भाग) है । उनमें से तीसरा और चौथा भाग, प्राणायाम और
आसन को बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है ।
प्राचीन ऋषियों ने यह भी पता लगाया कि हजारों नाड़ियों में तीन हैं जो सबसे शक्तिशाली ऊर्जा स्रोत हैं और जब पर्याप्त रूप से शुद्ध किया जाता है, तो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक का विकास होता है । इन का नाम ईड़ा,पिंगला और पिंगला है। योगियों ने बहुत पहले पता लग लिया था कि बाएं नथुने से सांस लेने से ईड़ा नाड़ी को उत्तेजित किया जा सकता है और सांस दाहिने नथुने के माध्यम से पिंगला नाडी को उत्तेजित कर जाता सकते है। दोनों नाड़ियों के कार्य को संतुलित करके हम शुषुम्ना नामक मुख्य ऊर्जा नाड़ी को उत्तेजित कर सकते हैं ।
पश्चिम में योग के पिता के रूप में प्रसिद्ध परमहंस योगानंद के द्वारा लिखित आत्मकथा पुस्तक पढ़े अमेज़न से । https://amzn.to/2SYgfQC
योग गुरु, बी. के. एस. अयंगर के द्वारा लिखित योगा फॉर एवरीवन पुस्तक पढ़े अमेज़न से https://amzn.to/3cjqUwF