मूल बंध योग के फायदे
योग के अनेको स्वास्थ्य लाभ हैं। इसे योग आसान, मुद्रा और प्राणायाम जैसे कई विभिन्न रूपों में किया जाता है । योग का ऐसा ही एक रूप है बंध। संस्कृत में, बंध का अर्थ है पकड़ना या कसना हैं।
योग में चार बंध होते हैं जालंधर, मूल, उड्डियान और महा। इस लेख में हम मूल बंध पर चर्चा करेंगे।
मूल बंध किसे कहते हैं
मूल बंध तीन बंधों में से एक है जो प्राण (जीवन ऊर्जा) के प्रवाह को निर्देशित करता है। यह शब्द संस्कृत मूल से आया है, जिसका अर्थ है "जड़" या "आधार," और बंध, जिसका अर्थ है "बंधन"
मूल बंध स्फिंक्टर और पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों के बीच स्थित होता है। मूल बंध को संलग्न करने के लिए, श्रोणि तल को अनुबंधित किया जाता है और रीढ़ की ओर उठाया जाता है। मूल बंध लगाने से प्राण शरीर से बाहर नहीं बल्कि शरीर में प्रवाहित होता रहता है।
मूल बंध आमतौर पर प्राणायाम के दौरान लगाया जाता है, लेकिन योग अभ्यास और ध्यान में भी इसे प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।
मूल बंध कैसे करे
- आराम से कुर्सी या कुशन पर बैठकर शुरुआत करें।
- अपने कंधों को आराम दें और अपनी सांसों के प्रति सचेत रहे।
- अब श्वास लें, सांस लेते हुए 5 गिनते हुए मूलाधार चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और गुदा की मांसपेशियों को सिकोड़ें।
- इस स्थिति में 10 सेकंड तक रहने का प्रयास करें। प्रारंभ में, आप 3 सेकंड के साथ भी शुरू कर सकते हैं और अंततः नियमित अभ्यास के साथ इसे बढ़ाकर 10 कर सकते हैं।
- 5 की गिनती पर सांस छोड़ें और प्रत्येक गिनती के साथ अपनी पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को वापस लाएं और पूरी तरह से आराम दे।
- इस आसन का अभ्यास दिन में दो बार रोजाना 2 से 5 मिनट तक करना चाहिए।
मूल बंध करने के लाभ
- यह बवासीर को रोकता है।
- शरीर के निचले पेट में स्थित ग्रंथियों के स्राव में सुधार करता है।
- यह पाचन शक्ति को उत्तेजित करता है।
- यह श्रोणि और मूत्रजननांगी क्षेत्र को संतुलित और सक्रिय करता है।
- मूल बंध एकाग्रता शक्ति में सुधार करता है।
- यह मल-मूत्र की दुर्बलता और कब्ज को दूर करता है।
- यह अवसाद को दूर करने में भी मदद कर सकता है।
- इसका अभ्यास करने से एकाग्रता के स्तर में बढोत्तरी होती है।
- यह ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
- महिलाओं में मासिक धर्म दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।
- प्रजनन प्रणाली को मजबूत करता है।
- रक्तचाप के स्तर को कम करता है।
- पाचन में सहायता करता है साथ ही साथ गैस और कब्ज से राहत प्रदान करने में मदद करता है।
- इसे करने से आत्म-जागरूकता और चेतना को जगाने में मदद मिलती है।
एहतियात
- हर्निया से पीड़ित लोगों को यह बन्ध नहीं करना चाहिए।
- खाली पेट मूल बंद का अभ्यास करें।
- किसी मूलद्वार के पास दर्र होने पर इसे न करे।