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क्या आपको नाक से सांस लेने में परेशानी हो रही है, आंखों में खुजली हो रही है या बार-बार सिरदर्द हो रहा है? आप साइनस संक्रमण से पीड़ित हो सकते हैं।

साइनसाइटिस, जिसे चिकित्सकीय रूप से राइनोसिनुसाइटिस कहा जाता है, जिसमें नाक में सूजन आ जाती है और लगभग तीन से चार महीने तक सूजन रहती है। 

यह आमतौर पर मानसून और सर्दियों के महीनों में होता है। योग अभ्यास वास्तव में एलर्जी और साइनस के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। यह सदियों पुराना कला न केवल सांस लेने में सुधार करती है और साथ ही साथ शरीर को संक्रमण होने से बचती है। रोजाना योग करने से फेफड़ों की मांसपेशियों मजबूत होती है।

साइनस के लिए योग - Sinus ke liye yoga
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साइनसाइटिस को रोकने के लिए क्रिया, प्राणायाम और आसन को किया जा सकता है। पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति भी नासिका मार्ग को साफ करने के लिए जल नेति और सूत्र नेति की सलाह देती है। पर नेति करने से पहले  किसी प्रशिक्षित योग शिक्षक की सलाह जर्रूर लेनी चाहिए। 

साइनस से राहत पाने के लिए आजमाएं ये योगासन


अनुलोम विलोम


  • अपने दाहिने हाथ की पहली दो अंगुलियों को मोड़ें । 
  • अब, अपने दाहिने नथुने को अपने दाहिने अंगूठे से बंद करें और बाएं नथुने से चार गिनती तक सांस लें ।
  • बाएं नथुने को दाएं हाथ की अंतिम दो अंगुलियों से बंद करें। 16 गिनती तक अपनी सांस रोके रखें । 
  • अपने दाहिने नथुने को छोड़ें और आठ से अधिक बार सांस छोड़ें। फिर, दाहिने नथुने से चार गिनती तक सांस लें  । 
  • प्रत्येक नथुने पर 10-12 दोहराव करें । 

पश्चिमोत्तानासन


  • अपने पैरों को सीधे अपने सामने रखकर चटाई पर बैठें । 
  • अपनी बाहों को ऊपर की ओर उठाएं और कमर से झुकें । 
  • अपने पैरों के तलवों को अपने हाथों में पकड़ने की कोशिश करें और अपने पेट को अपनी जांघों से स्पर्श करें । 
  • संभव ना होने पर अपने पिंडलियों, टखनों, या पैर की उंगलियों को पकड़ने की कोशिश करें । 
  • 1 मिनट के लिए मुद्रा में रहें । 
  • प्रारंभिक स्थिति में वापस आएं और दो बार दोहराएं । 

पूर्वोत्तानासन


  • अपने पैरों को सीधे रखकर चटाई पर बैठें । 
  • अपनी हथेलियों को अपने कूल्हों के पीछे रखें । 
  • अब, कूल्हों को चटाई से ऊपर उठाएं और शरीर को सिर से पैर तक एक सीधी रेखा में लाने का प्रयास करें।
  • 30 सेकंड के लिए रुकें और प्रारंभिक स्थिति में लौट आएं। 

भस्त्रिका प्राणायाम


  • किसी भी आरामदायक मुद्रा में बैठें (जैसे सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन)।
  • अपनी पीठ को सीधा करे और अपनी आँखें बंद कर ले।
  • अपनी हथेलियों को अपने घुटनों पर ऊपर की ओर रखें ।
  • श्वास लें और अपने फेफड़ों को हवा से भरें।
  • अब इस तरह सांस छोड़ें जैसे कि आप अपने फेफड़ों को खाली कर रहे हों।
  • साँस लेना और छोड़ना 1:1 के अनुपात में किया जाना चाहिए।