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योग का उद्देश्य शारीरिक निरोगता और मानसिक विकास के साथ आध्यात्मिक सत्यता का अनुभव करना है, सो इसका प्रारभ सहजता से ही किया जाना चाहिए। क्योंकि सहजता के लिए सरल से कठिन की विधि सही रहती है, इसीलिए नये व्यक्ति योगासनों की शुरुआत इन आसनों से करें- सूर्य नमस्कार, नावासन, कमर चक्रासन, वज्रासन, उष्ट्रासन, भुजंगासन, धनुरासन, पादोत्तानासन, मकरासन एवं पवन मुक्तासन

एक मास तक उपरोक्त आसनों को करने के बाद पश्चिमोत्तानासन, योग मुद्रा, अर्धमत्स्येंद्रासन, सुप्त वज्रासन, शलभासन, हलासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन आदि को एक-एक, दो-दो बार करते हुए बढ़ाते जाएं।

योग के नियम - Yog Ke Niyam
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पूर्ण लाभ के लिए योग के निम्नलिखित नियमों का पालन करें:

  • योगासनों का अभ्यास प्रात:काल शौच आदि से निवृत्त होकर करें। स्नान करके योगासन किये जाएं तो और भी अच्छा रहेगा। स्नान करने से शरीर हल्का होता है, लचक आती है और आसन अच्छे ढंग से होते हैं। वैसे सायंकाल भी, जब पेट खाली हो, तो आसन किये जा सकते हैं।
  • आसन करने का स्थान शांत व स्वच्छ होना चाहिए। किसी उद्यान या वाटिका में आसन किये जाएं तो बहुत अच्छा है।
  • जहां आसन करें, वह समतल हो। दरी या कंबल बिछाकर आसन करने चाहिए, ताकि भूमि की चुंबकीय शक्ति आपके ध्यान को तोड़े नहीं और नीचे से कोई चीज आपको गडे नहीं। जब पीठ के बल के आसन करें, तो ध्यान रखें कि सिर का भाग ऊंचे स्थान पर न हो, या तो वह समतल हो या फिर थोड़ा नीचा, इससे पीठ के आसन अच्छे होंगे।
  • योगासन करते हुए बातचीत बिल्कुल न करें, अपने ध्यान को श्वास और जिस अंग पर बल पड़ रहा है, उस पर लगाएं। जितना एकाग्र होकर आप आसन करेंगे, उतना दी अधिक शारीरिक व मानसिक लाभ मिलेगा। आसन शुरू करने से पहले शवासन करके अपने श्वास, शरीर और मन को शांत कर लें।
  • योगासन अहिंसक क्रिया है। इसको करते समय झटके नहीं लगने चाहिए। हर आसन को शरीर तानकर, खींचकर और धीरे-धीरे करें। उसके बाद कुछ क्षण अपने शरीर को शिथिल करें। जब आपका श्वास स्वाभाविक स्थिति में आ जाये तब दूसरा आसन करें।
  • योगासनों का अभ्यास धीरे-धीरे बढ़ाएं। आसन की पूर्ण स्थिति तक जाने का प्रतिदिन अभ्यास करें। धीरे-धीरे आपके जोड़ खुलेंगे और शरीर में लचक पैदा होगी। आसन की पूर्ण स्थिति तक पहुंचने में छह माह या वर्ष भर भी लग सकता है इसलिए निराश हुए बिना नित्यप्रति आसनों का अभ्यास करते जाएं, सफलता निश्चित मिलेगी। 
  • ऋतु के अनुसार आसनों का कम-से-कम कपड़े पहनकर अभ्यास करें। नीचे लंगोट बांधकर और ऊपर निक्कर या पाजामा डालकर आसन करें।
  • योगासनों का अभ्यास सभी बच्चे-बूढ़े व स्त्री-पुरुष कर सकते हैं । दस वर्ष से लेकर 80/85 वर्ष तक के व्यक्ति योगाभ्यास कर सकते हैं। आसनों का अभ्यास किसी जानकार व्यक्ति से सीखकर विधिपूर्वक करना चाहिए। योगासन एक वैज्ञानिक विधि है। इसका संबंध शरीर के भीतरी अंगों से है, इसलिए बिना सीखे करने से हानि भी हो सकती है। किसी योग ज्ञाता के निर्देश में ही इन्हें सीखें और करें।
  • योगासन करने वाले व्यक्ति को अपना भोजन हल्का रखना चाहिए। भोजन सुपाच्य, सात्विक व प्राकृतिक होना चाहिए। जितना हल्का भोजन होगा, उतनी उसकी कार्य शक्ति बढ़ जाएगी। शरीर हल्का रहेगा।
  • कठिन रोगों तथा ज्वर से पीड़ित व्यक्ति को आसन व प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए। गर्भवती स्त्री गर्भावस्था के तीन या चार महीने तक आसन कर सकती है, फिर उसे आसनों का त्याग कर देना चाहिए। उसके बाद सैर व हल्का व्यायाम करना चाहिए। मासिक धर्म के दिनों में भी स्त्रियों के लिए आसन वर्जित हैं। केवल स्वस्थ व्यक्ति तथा सामान्य रोगों से पीड़ित व्यक्ति ही आसन व प्राणायाम का अभ्यास करें।
  • शरू में एक ही दिन बहुत से आसन न करें। प्रत्येक आसन को मनोयोग से आंख मंदकर धीरे-धीरे करें। सर्वांगासन व शीर्षासन धीरे-धीरे बढ़ाकर दस मिनट तक कर सकते हैं। आसन की अंतिम स्थिति से पहली स्थिति में न आएं।
  • आसनों का अभ्यास-क्रम इस प्रकार रखना चाहिए कि आसन के बाद उसका उपासन (काउन्टरपोज) कर सकें जैसे कि पश्चिमोत्तानासन के बाद उसका उपासन, कोणासन तथा सर्वांगासन के बाद मत्स्यासन आदि।
  • योगासनों का अभ्यास ठीक-ठीक हो रहा है या नहीं और उनका लाभ आपको मिल रहा है या नहीं इसकी, कसौटी यह है कि आपका शरीर आसन करने के बाद थकावट रहित हो, हल्का फुल्का हो,  आपकी कार्यशक्ति बढ़ जाए और दिन-प्रतिदिन आप युवा दिखें।
  • योगासनों की समाप्ति के बाद कछ समय के लिए शवासन अवश्य करें। आसनों का लाभ तभी मिल पाएगा जब आप शवासन करके अपने शरीर को थोड़ा विश्राम दें। यदि समय हो, तो थोड़ी देर के लिए सो जाएं, बहत लाभ मिलेगा। शवासन अपने-आप में पूर्ण आसन है और इससे शरीर में अद्भुत शक्ति का संचार होता है।
  • एक घंटा योगासन प्राणायाम का कार्यक्रम समाप्त करने के बाद कम-से-कम आधे घंटे तक कुछ न खाएं।
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